सुहागरात का यह प्रथम मिलन केवल शारीरिक मिलन ही नहीं होता बल्कि मानसिक
व आत्मिक मिलन है। इस घड़ी में दो जिस्म एक जान हो जाते हैं तथा दो जाने
अब तक अलग अलग थीं। इस रात को पहली बार एक हो जाती है तथा यही घड़ी वैवाहिक
जीवन की नींव का पत्थर बन जाती हैं तथा सफल जीवन के सुनहरी भविष्य का
निर्माण करती है। इस रात की नींव बहुत ही मजबूत हो जानी चाहिए ताकि कभी भी
थोड़ी हलचल के कारण वैवाहिक जीवन में दरार पड़ जाये। यह
रात एक दूसरे को समझने की रात होती है यही कारण है कि कुछ लोग शादी होने पर
शादी में आए हुए रिश्तेदारों व अन्य परिवार जनों से भरे घर पर पति पत्नी
एक दूसरे को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं तथा व कहीं पर्वतीय स्थान या
किसी रमणीक स्थल पर एकान्त में जाकर एक दूसरे को गहराई से जानने की
जिज्ञासा रखते हैं। हनीमून या सुहागरात सभी देशों व सभी जातियों में प्रचलित है तथा सभी जगह इसका समान महत्व है।
यदि आप अपनी नई दुल्हन के सच्चे जीवन साथी न बन पाए तो सेज के साथी भी न बन पाएंगे। नई दुल्हन केवल आपको एक कामी व्यक्ति व वासना का लोभी भंवरा समझकर स्वयं को बलि का बकरा समझने लगेी इसलिए प्रथम मिलन की घडि़या जीवन की बहुत ही अनमोल घडि़या होती है। यदि अपने रूखे व्यवहार पर जल्दबाजी से कोई पुरूष अपने को संभाल नहीं पाता तो उसकी सुहागरात दुर्भाग्य रात्रि में बदल जाती है। आज के युग में लड़कियां भी शिक्षित होती हैं तथा समाज में वातावरण को भली प्रकार से समझती हैं इसी के फलस्वरूप प्रत्येक लड़की अपने विवाहित जीवन का एक शुखहाल चित्र अपने दिल दिमाग में रखती है तथा उसी चित्र के अनुसार ही अपना पति चाहती है। यदि पति अपनी नई दुल्हन के हृदय को जीत लेने में सफल हो जाता है तो निश्चय ही यह उनके वैवाहिक जीवन का शुभारंभ है। पहली रात में पति को सम्भोग के लिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए बल्कि उसके प्रत्येक वस्तु जैसे रूप रंग, आंखें, होंठ, नाक, चेहरे की बनावट, कपड़ों की आदि की खूब प्रशंसा करनी चाहिए। अपनी नई दुल्हन के सामने भूलकर भी किसी दूसरी लड़की या स्त्री के सौन्दर्य, गुणों व कपड़ों आदि की प्रशंसा न करें इसके आपकी पत्नी में हीनभावना आ जाएगी तथा आपके साथ पूरा सहयोग दे पायेगी। पहले आप पत्नी के मन को वश में करे और अपने ऊपर एक सीमा तक नियंत्रण रखें, जब उसे आपका यह प्रेमी व सफल पुरूष का रूप मुग्ध कर देगा तो वह आपको खुशी व पूर्ण सहयोग के साथ अपना सर्वस्व अर्पण कर देगी। नई दुल्हन के लिए पहला सहवास कष्टदायक होता है इसलिए पहले शुरू में उसके कष्ट का ध्यान रखते हुए धीरे धीरे ही उसका संकोच झिझक दूर करने की चेष्टा करें।
प्रत्येक नवविवाहिता के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि वे अपनी सुहागरात की घड़ी में कोई शराब या नशे की वस्तु का सेवन न करें जिससे उनके आगामी विवाहित जीवन पर बुरा प्रभाव पड़े। यह रात जीवन में केवल एक ही बात आती है। इसी रात की यादें स्त्री पुरुष अपने जीवन भर के लिए गांठ में बांध लेते हैं तथा कुछ अज्ञानी लोग यही समझते हैं कि पहली रात सम्भोग में रक्त आना जरूरी है जो नववधु के कौमार्य की निशानी होती है उनकी यह धारणा बिल्कुल गलत है क्योंकि कुछ लड़कियों में योनिच्छेद की झिल्ली बहुत सख्त होती है तथा कुछ की यह झिल्ली बहुत पतली व कोमल होती है जो बचपन में खेलकूद, बस, गाड़ी में चढ़ते उतरते समय साधारण चोट से भी फट जाती है। फलस्वरूप सम्भोग से पहले ही फट चुकने के कारण रक्त आने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता इसलिए रक्त न आने पर अपनी नई दुल्हन के चरित्र का व्यर्थ ही शक नहीं करना चाहिए अन्यथा विवाहित जीवन एक दुखों की ज्वाला बनकर सारी जिन्दगी आपको जलाती रहेगी।
यदि आप अपनी नई दुल्हन के सच्चे जीवन साथी न बन पाए तो सेज के साथी भी न बन पाएंगे। नई दुल्हन केवल आपको एक कामी व्यक्ति व वासना का लोभी भंवरा समझकर स्वयं को बलि का बकरा समझने लगेी इसलिए प्रथम मिलन की घडि़या जीवन की बहुत ही अनमोल घडि़या होती है। यदि अपने रूखे व्यवहार पर जल्दबाजी से कोई पुरूष अपने को संभाल नहीं पाता तो उसकी सुहागरात दुर्भाग्य रात्रि में बदल जाती है। आज के युग में लड़कियां भी शिक्षित होती हैं तथा समाज में वातावरण को भली प्रकार से समझती हैं इसी के फलस्वरूप प्रत्येक लड़की अपने विवाहित जीवन का एक शुखहाल चित्र अपने दिल दिमाग में रखती है तथा उसी चित्र के अनुसार ही अपना पति चाहती है। यदि पति अपनी नई दुल्हन के हृदय को जीत लेने में सफल हो जाता है तो निश्चय ही यह उनके वैवाहिक जीवन का शुभारंभ है। पहली रात में पति को सम्भोग के लिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए बल्कि उसके प्रत्येक वस्तु जैसे रूप रंग, आंखें, होंठ, नाक, चेहरे की बनावट, कपड़ों की आदि की खूब प्रशंसा करनी चाहिए। अपनी नई दुल्हन के सामने भूलकर भी किसी दूसरी लड़की या स्त्री के सौन्दर्य, गुणों व कपड़ों आदि की प्रशंसा न करें इसके आपकी पत्नी में हीनभावना आ जाएगी तथा आपके साथ पूरा सहयोग दे पायेगी। पहले आप पत्नी के मन को वश में करे और अपने ऊपर एक सीमा तक नियंत्रण रखें, जब उसे आपका यह प्रेमी व सफल पुरूष का रूप मुग्ध कर देगा तो वह आपको खुशी व पूर्ण सहयोग के साथ अपना सर्वस्व अर्पण कर देगी। नई दुल्हन के लिए पहला सहवास कष्टदायक होता है इसलिए पहले शुरू में उसके कष्ट का ध्यान रखते हुए धीरे धीरे ही उसका संकोच झिझक दूर करने की चेष्टा करें।
प्रत्येक नवविवाहिता के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि वे अपनी सुहागरात की घड़ी में कोई शराब या नशे की वस्तु का सेवन न करें जिससे उनके आगामी विवाहित जीवन पर बुरा प्रभाव पड़े। यह रात जीवन में केवल एक ही बात आती है। इसी रात की यादें स्त्री पुरुष अपने जीवन भर के लिए गांठ में बांध लेते हैं तथा कुछ अज्ञानी लोग यही समझते हैं कि पहली रात सम्भोग में रक्त आना जरूरी है जो नववधु के कौमार्य की निशानी होती है उनकी यह धारणा बिल्कुल गलत है क्योंकि कुछ लड़कियों में योनिच्छेद की झिल्ली बहुत सख्त होती है तथा कुछ की यह झिल्ली बहुत पतली व कोमल होती है जो बचपन में खेलकूद, बस, गाड़ी में चढ़ते उतरते समय साधारण चोट से भी फट जाती है। फलस्वरूप सम्भोग से पहले ही फट चुकने के कारण रक्त आने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता इसलिए रक्त न आने पर अपनी नई दुल्हन के चरित्र का व्यर्थ ही शक नहीं करना चाहिए अन्यथा विवाहित जीवन एक दुखों की ज्वाला बनकर सारी जिन्दगी आपको जलाती रहेगी।
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